कृष्ण जिसे नहीं मिले शायरी

कृष्ण जिसे नहीं मिले,
युगों युगों से आजतक उसी के हैं,
और जिसे मिले उसे मिले ही नहीं।
तभी कहते है, कृष्ण को
पाने का प्रयास मत कीजिये,
पाने का प्रयास करोगे
तो कभी नहीं मिलेंगे।
बस प्रेम कर के छोड़ दीजिए,
फिर जीवन भर साथ निभाएंगे कृष्ण।
कृष्ण इस सृष्टि के सबसे अच्छे मित्र हैं।
राधिका हों या सुदामा,
कृष्ण ने मित्रता निभाई तो ऐसी निभाई
कि इतिहास बन गया।
मनुष्य को... कुछ न कुछ तो छूटता ही रहता है।
जितनी चीज़ें कृष्ण से छूटीं
उतनी तो किसी से नहीं छूटीं।
कृष्ण से उनकी माँ छूटी,
पिता छूटे, नंद-यशोदा भी छूटे,
संगी-साथी छूटे, राधा छूटीं,
गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी।
कृष्ण से जीवन भर कुछ न कुछ
छूटता ही रहा।
कृष्ण जीवन भर त्याग करते रहे।
हमारी आज की पीढ़ी जो
कुछ भी छूटने पर दुःखी होने लगती है,
उसे कृष्ण को गुरु बना लेना चाहिए।
जो कृष्ण को समझ लेगा
वह कभी अवसाद में नहीं जाएगा।
कृष्ण आनंद के देवता है।
कुछ छूटने पर भी कैसे खुश रहा जा सकता है?
यह कृष्ण से अच्छा कोई
सिखा ही नहीं सकता।
महागुरु थे कन्हैया...
जय श्री कृष्णा 🙏
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मंदिर तक भले आपको
आपके चरण पहुँचा दें,
परंतु भगवान तक तो
आपका आचरण ही पहुँचाएगा।
नारायण 🙏🏻
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जिंदगी को आसान बनाने के
लिए इन दो बातों की गिनती
करना छोड़ दें, खुद का दुःख
और दूसरों का सुख।
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अगर मन मे कोई उलझन हो,
Decision लेना मुश्किल लग रहा हो,
तो रोज सुबह silence मे बैठे,
परमात्मा को अपनी उलझन बताये,
जैसे औरो से राय से मांगते है
उसी तरह, परमात्मा से कहे...
"बताइये मेरे लिए सही क्या है"
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ज्ञान, धन और विश्वास
तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे,
तीनों में बहुत प्यार भी था।
एक वक्त ऐसा आया जब
तीनों को जुदा होना पड़ा…!
तीनों ने एक दूसरे से सवाल
किया की हम कहाँ मिलेंगे?
ज्ञान ने कहाँ -
मैं मंदिर, विद्यालय में मिलूँगा…
धन ने कहाँ -
मैं अमीरों के पास मिलूँगा…
विश्वास चुप था,
दोनों ने चुप होने की वजह
पूछी तो विश्वास ने रोते हुए कहाँ -
मैं एक बार चला गया तो फिर कभी
नहीं मिलूँगा…॥
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खुद को शिक्षित समझकर
भगवान को भूलने की
गलती कभी मत करना,
क्योंकि काल कर्म देखता है डिग्री नहीं...!
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हर इन्सान अच्छा भी है और बुरा भी !
अगर हम यह समझते हैं कि
कोई इन्सान सिर्फ अच्छा ही है
या कोई सिर्फ बुरा ही है,
तो हमारी समझदारी में कमी है !
कोई इन्सान हमें तब तक अच्छा लगता है,
जब तक वह हमारे हिसाब से चलता है,
हमारी पसन्द का काम करता है,
अच्छा व्यवहार करता है !
जिस दिन वह इन्सान हमारे
विचारों, सोच, पसन्द, ज़रूरत से
विपरीत काम करने लग जाता है,
वह इन्सान हमें बुरा लगने लगता है !
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