जब तुम जिंदगी से परेशान हो कर,
दिन भर जिम्मेदारियों का बोझ ढो कर,
बैठ जाओ हर शाम एक दम थक हार कर,
उस वक्त तुम्हारा साथ देने का,
तुम्हारे दिल का हाल पूछने का,
हक है ना मुझे?
जब तुम अपने दोस्तों से झगड़ कर,
उनपे अपना दो पल वाला गुस्सा निकाल कर,
फिर बैठ जाओ गुस्से में घर आकर,
उस वक्त तुम्हारा गुस्सा शांत करने का,
तुम्हे पानी का ग्लास थमा कर चुप करने का,
हक है ना मुझे?
जब तुम दीवार पर हाथ मार लो,
खुद को बुरी तरह चोट पहुंचा लो,
किसी और की गलती की सजा खुद को दे डालो,
उस वक्त तुमपे गुस्से में चिल्लाने का,
और फिर आराम से समझाने का,
हक है ना मुझे?
जब तुम बिना खाए सोने जाओ,
न खानें की वजह भी न बताओ,
फिर सर दर्द बता कर सो जाओ,
उस वक्त तुम्हे खाना खिलाने का,
कसम दे कर न खाने की वजह पूछने का,
हक है ना मुझे?
अब बस इतना बता दो की,
तुमपे प्यार जताने का,
तुम्हे हर तरह से समझाने का,
गुस्से में तुमपे चिल्लाने का,
कभी कभी कसम भी खिलाने का,
हक है ना मुझे?
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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गुजर रही है जिंदगी अब ऐसे मुकाम से,
अपने भी दूर हो गए जरा से जुखाम से ।
पास रहकर भी हम, कितने दूर हो गए,
इस महामारी से हम सब मजबूर हो गए ।
सोचा न स्वपन मे, ऐसा समय भी आयेगा,
अपने पास वाला भी हमसे दूर हो जाएगा ।
तरस रहे मिलने के लिए एक दूजे से हम,
पास में वे मेरे खड़े हैं, गले लगा सके न हम ।
कैसा समय है हवा भी घातक हो गई,
दूरियां भी एक दूजे से ये दवा हो गई ।
╭─❀⊰ writer's➳➸ Sohail Khan
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मुल्क तेरी बर्बादी के आसार नज़र आते है !
चोरों के संग पहरेदार नज़र आते है !!
ये अंधेरा कैसे मिटे , तू ही बता ऐ आसमाँ !
रोशनी के दुश्मन चौकीदार नज़र आते है !!
हर गली में, हर सड़क पे ,मौन पड़ी है ज़िंदगी !
हर जगह मरघट से हालात नज़र आते है !!
सुनता है आज कौन द्रौपदी की चीख़ को !
हर जगह दुस्सासन सिपहसालार नज़र आते है !!
सत्ता से समझौता करके बिक गयी है लेखनी !
ख़बरों को सिर्फ अब बाज़ार नज़र आते है !!
सच का साथ देना भी बन गया है जुर्म अब !
सच्चे ही आज गुनाहगार नज़र आते है !!
मुल्क की हिफाज़त सौंपी है जिनके हाथों मे !
वे ही हुकुमशाह आज गद्दार नज़र आते है !!
खंड खंड मे खंडित भारत रो रहा है ज़ोरों से !
हर जाति , हर धर्म के, ठेकेदार नज़र आते है !!
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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कितना अधूरा लगता है
जब बादल हो,
पर बारिश ना हो ।।
जब जिंदगी हो ,
पर प्यार ना हो ।।
जब आंखे हो ,
पर ख्वाब ना हो।।
और,
जब कोई अपना हो पर साथ
ना हो ।।
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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इन वीरान गलियों से किसी का आना लिखा था,
इन बेचैन गलियों से किसी का जाना लिखा था,
ठहरा था एक प्यासा परिंदा एक बूंद की ख़ातिर
ये उस बूंद पर हवाओं का अफ़साना लिखा था,
मुसाफिरों से कह दो की सांसे महंगी हो गई
अब ज़ेर-ए-बहस मे रो -रो पछताना लिखा था,
यहीं ठहर कर ये सड़क दौड़ गई मंजिल तक
हम सोचते रहे इस पे हक मालिकाना लिखा था ,
ग़जल पढ़ने वाले भी है क्या ख़ूब बहर ढूंढते है
हमने तो अपना दर्द यूंही शायराना लिखा था ।
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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तुम, मुझसे दूर नही हो,
तुम , मुझसे अलग नही हो..!!
तुम मेरी नस नस में ,
रोम रोम में,
आंखों में
हर सोच में,
हर धड़कन,
हर सांस में,
हर आदत हर एहसास में,
हर आशु , हर मुश्कान में,
मेरी रूह , मेरी जान में,
तुम मुझसे दूर नही हो,
तुम मुझसे अलग नही हो..!!💥✍
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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एक ख्वाहिश है मन मे ,
तुम्हारी सारी ख्वाहिश पूरी करू..!!
आसान हो या न हो,
तुम्हारे साथ हर राह में चलू..!!
तुम्हारे सारे गम बात लू,
तुम्हारे लिए सिर्फ खुशिया चुनु..!!
तुम्हारे दिन की सारी थकान दूर कर,
तुम्हारी रातो का सुकून बनूं..!!
जिंदगी और मौत से परे है जो दुनिया,
उस दुनिया मे भी तुम्हारे साथ चलू...!!
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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घर का कोना कोना अम्मा
भरा भरा सा लगता है
तुम रहती हो घर में ये घर
हराभरा सा लगता है।
अपनी आखों से ही तुम
सबके मन पढ़ लेती हो
बांध आसुओं को पल्लू में
हर एक दुख सह लेती हो।
हर बड़ा दुख तेरे कारण
ज़रा ज़रा सा लगता है।
कितने सपनो की पांखे
तेरी माला में रहती हैं
बड़ी उफनती नदिया भी
छिपकर गालों पर बहती है
खुशियों के जो आम लगाए
लग्नसरा सा लगता है।
मीनारों की सोच और
मन अमृत जल सा रखती हो
बच्चो की हर एक हसीं में
हरसिंगार सी दिखती हो
तेरे उर का सोना अम्मा
खरा खरा सा लगता है।
घर का कोना कोना अम्मा
भरा भरा सा लगता है.... ❤️❣
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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कोई क़िस्त है जो अदा नही है,
सांस बाकी है , और हवा नही है..!!
नसीहते , सलाहे, हिदायते तमाम,
प्रिस्क्रिप्शन है, पर दवा नही है..!!
आंखे भी ढक लीजिए संग मुह के,
मंजर सचमुच, अच्छा नही है..!!
हरेक शामिल है, इस गुनाह में,
कुसूर किसका है पता नही है..!!❤️✍
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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मास्क लगाओ या मत लगाओ
आपकी मर्जी है मगर याद
रखना सरकार के लिए सिर्फ
एक आंकड़ा हो आप पर अपने
परिवार के लिए पूरी दुनिया हो.... ❤️❣
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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Ye Physics mujhe जीना सिखाती है ।
Tumhare jaane ke baad
मुझे सही राह दिखाती है ।
उथल-पुथल जाने कैसा Rotaion हुआ,
Tumhare जाने के बाद ना जाने किस
Direction में मेरा Motion हुआ ।
अब न तो तुम Focus में आती हो
Or न ही इश्क वाला Force लगाती हो ।
तुम्हारे आने से Pyaar का
Current Dil.me बहने लगा था -२
मैं तेरी Magnetic field में रहने लगा था ।
सारे Circuit close हुए,
पर Power का Value High था -२
पर क्या करें तेरे और मेरे बीच में
Resistence तेरा भाई था ।
Break हो गए सारे Circuit Escape Velocity से तुम चले गए -२
अब ना तो मेरा Momentum Conserve रहता है
और ना ही Total Energy में चलकर तुम्हारे पास आ जाऊं
ना ही मेरे अंदर इतनी Kinetic Energy.
अब ख्वाइश है तुम से Collision हो जाये -२
Unstable ही सही एक Equilibrium हो जाये ।।
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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🍁दूर जाने का फैसला कब का कर लिया था उन्होंने,
हमारी नाराजगी बस इक बहाना बन गई उनकी
वो कहते रहे और हम सुनते रहे उनकी बातें,
अब उन्हे कोन बताए उनके_ दिल के जज़्बात_*.. हमने कब के सुन लिए थे _
'बस अपने आप को ही न समझा पाए थे🍁
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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ये हादसा, दोबारा कभी हुआ नहीं।
बाद उसके किसीने, रूह को मेरी छुआ नहीं।
चाहता था मै, बस प्यार उसका।
आदमी मै, हवस का भुखा नहीं।
कह सकते हो तुम, इसको फितरत मेरी।
दुश्मनो की अपने, दी कभी बद्दुआ नहीं।
भुला दिया है शायद उसने मुझको।
लेकिन मै अब तक उसको भुला नहीं।
घायल है दिल मेरा सदियों से।
ये और बात है कि, खंज़र अब तक चुभा नहीं।
भरा था जो तालाब अश्को से मेरे।
वो अब तक है सुखा नहीं।
पूरी तो होती नहीं कोई आरज़ू मेरी।
इसीलिए मांगता अब दुआ नहीं।
हो कितनी भी तकलीफ चाहे मुझको।
अहसान किसीका कभी लुंगा नहीं।
तन जुदा हो भले ही हमारे।
मगर रूह हमारी जुदा नहीं।
चलता रहा मै अपनी ही धून में।
रोके से किसी के मै रुका नहीं।
खाई थी कसम ये कभी मैंने।
अलावा उसके किसीको चाहुंगा नहीं।
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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मोहब्बत में मुकर जाना ज़रूरी हो गया था,
पलट के अपने घर जाना ज़रूरी हो गया था,
नजरअंदाज करने की सजा देनी थी तुझको,
तेरे दिल में उतर जाना जरूरी हो गया था....
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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क्यू अब भी उसको यादों में रखा है,
जैसे जलते दिए को हवा में रखा है,
वो भूल गया सब और मेने उसको अभी भी दुवा में रखा है,
उसको तो मेरा नाम भी नहीं मालूम अब और मेने उसको आंखो में रखा है,
जिस घड़ी मुस्कुरा के देखा था उसने
बस वो पल इबादत में रखा है।
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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हमारा इरादा तो आप जैसा नही है...
जो मुझे तेरी तरह चाहे कोई ऐसा नही है...
क्या करूँगा जमाने भर की खुशियां लेकर...
तेरी तरह मेरे होठो पर मुस्कान सजाए कोई ऐसा नही है...
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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जिंदगी की एक सच्चाई
आप कब सही थे ये लोग याद नहीं
रखते लेकिन आप कब गलत थे
ये सब याद रखते हैं.... यही हकीकत
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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ना जाने कितनी अनकही बातें
साथ ले जाएंगे..
लोग झूठ कहते हैं की. खाली हाथ
आए थे खाली हाथ जाएंगे.!!!✌
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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क्युं न अब कमाल कर दिया जाए...
तेरा जीना मुहाल कर दिया जाए...
तू जो पलट कर आना चाहे वापस
क्युं न अब इंकार कर दिया जाए.!
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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*रखा करो नजदीकियां ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं...
फिर मत कहना चले भी गए और बताया तक नहीं. . . !*
*बहुत ग़जब का नज़ारा है इस अजीब सी दुनिया का,
लोग सब कुछ बटोरने में लगे हैं खाली हाथ जाने के लिये..!*
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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अगर औरत बिना संसार होता,,
वफ़ा का ज़िक्र फिर बेकार होता.....
ये किस्से हीर लैला के न मिलते,,
हर एक आशिक़ यहाँ बेजार होता.....
क़लम ख़ामोश रहती शायरों की,,
बिना रोजगार के न कोई फ़नकार होता.....
नहीं फिर जिक्र होठों पर किसी के,,
ना नयन जुल्फ और लब-ए-रुख़्सार होता....
न करता कोई बातें ग़म ख़ुशी की,,
किसी को कब किसी से प्यार होता......
सजावट धूल खाती फिर मकाँ की,,
लटकता आइना भी ग़मख़्वार होता.......
सभी ख़ामोश होती महफ़िलें भी,,
नहीं फिर रूप-ए-श्रृंगार होता....
बहन माशूक मां बेटी और बीवी,,
बिना कोई न रिश्तेदार होता.....
तुरंत अब ये हक़ीक़त और जानो,,
बिना औरत बशर क्या यार होता .......
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको हमारा ये पैगाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो
फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए
किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
#life #love
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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उदास बात भी करे तो मुस्कुरा कर
हिज़्र भी झेलना पड़े तो मुस्कुरा कर
बात बात पर तुम संजीदा हो जाते हो
मुझे अगर डांटों भी तो मुस्कुरा कर।
❤️❤️🙈
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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अगर औरत बिना संसार होता,,
वफ़ा का ज़िक्र फिर बेकार होता.....
ये किस्से हीर लैला के न मिलते,,
हर एक आशिक़ यहाँ बेजार होता.....
क़लम ख़ामोश रहती शायरों की,,
बिना रोजगार के न कोई फ़नकार होता.....
नहीं फिर जिक्र होठों पर किसी के,,
ना नयन जुल्फ और लब-ए-रुख़्सार होता....
न करता कोई बातें ग़म ख़ुशी की,,
किसी को कब किसी से प्यार होता......
सजावट धूल खाती फिर मकाँ की,,
लटकता आइना भी ग़मख़्वार होता.......
सभी ख़ामोश होती महफ़िलें भी,,
नहीं फिर रूप-ए-श्रृंगार होता....
बहन माशूक मां बेटी और बीवी,,
बिना कोई न रिश्तेदार होता.....
तुरंत अब ये हक़ीक़त और जानो,,
बिना औरत बशर क्या यार होता ..
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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ये उम्र लम्हों में , सिमट जाये , तो क़रार आये ,
बात बिगड़ी भी , सँवर जाये , तो क़रार आये.......
रातें महकी हो , चाँदनी में यहाँ , बरसों तो क्या ,
कभी दिन में भी , सुरूर आये , तो क़रार आये.....
दिल धड़कता है , तेरी याद में , हर लम्हा मेरा ,
उम्र भर यूँ ही , गुज़र जाये , तो क़रार आये.......
मय का मंज़र हो , और जाम हो , लबों पे मेरे ,
और जी पीने से , मुकर जाये , तो क़रार आये.....
आसमां छू के , यहाँ बरसी , ये घटायें अकसर ,
कभी आसमां भी , बरस जाये , तो क़रार आये..
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
╨───────────────────━❥
ज़िन्दगी का वाे फ़साना ना रहा ,
दिल भी अब ये दीवाना ना रहा .......
भीगें बरसातों में सोचा बरसों से ,
आज पर मौसम सुहाना ना रहा .......
बेरूखियों से लफ़्ज भी गूँगे हुए ,
और वो दिलकश तराना ना रहा .....
परछाँईयाँ पलकों में धुँधली हुई ,
कनखियों का मुस्कुराना ना रहा......
क्यूँ सुनाऊँ तुमको मैं शिकवे गिले ,
प्यार जब अपना पुराना ना रहा......
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
╨───────────────────━❥
कई दफ़ा बिछड़ना, कुछ इस कदर भी होता है
जाने वाला जाने से पहले ही, जा चुका होता है...
जाने वो कैसे मुकद्दर की, किताब लिख देता है
साॅंसे गिनती की हैं, ख्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है...
जिनकी गलतीयों से भी, मैंने रिश्ता निभाया है
बार-बार मुझे फ़ालतू होने का, अहसास दिलाया है..
कौन हूॅं मैं ऐ-ज़िंदगी तू ही बता
थक गया हूॅं मैं, ख़ुद का पता ढूॅंढते-ढूॅंढते
अंदर से तो कब के, मर चुके हैं हम
ऐ-मौत तू ही आजा, लोग अब सबूत माॅंगते हैं.
किश्तों में, ख़ुदखुशी कर रही है ये ज़िंदगी अब तो
🖤💔
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
╨───────────────────━❥
मत बताया करो अपनी हर बात हर किसी को
भरोसा करके क्योंकि उसका भी तो कोई अपना
भरोसे वाला इंसान होगा जिसपर तुम्हे भरोसा न हो । 😍😍😍😍
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
╨───────────────────━❥
सब परिंदों से प्यार लूँगा मैं
पेड़ का रूप धार लूँगा मैं।
रात भी तो गुजार ली मैंने
जिन्दगी भी गुजार लूंगा मैं।
तू निशाने पे आ भी जाए अगर
कौन सा तीर मार लूँगा मैं।
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
╨───────────────────━❥
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया
इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ
उस ने जिस जिस को भी जाने का कहा बैठ गया
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
╨───────────────────━❥
आँधी आई जोर शोर से,
डालें टूटी हैं झकोर से।
उड़ा घोंसला अंडे फूटे,
किससे दुख की बात कहेगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?
घर में पेड़ कहाँ से लाएँ,
कैसे यह घोंसला बनाएँ!
कैसे फूटे अंडे जोड़े,
किससे यह सब बात कहेगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?
❤️✍
╭─❀⊰ writer's➳➸Sohail khan
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Deepavali:- Why do we celebrate Diwali:- It is believed that when Lord Rama returned to Ayodhya after defeating Ravana and completing fourteen years of exile, the townspeople decorated the entire Ayodhya with lights, and from here the festival of Diwali is believed to have started in India. Diw…
Modern Life gets So busy Sometimes that we often forget to give love to the people who are dear to us. Don't wait for a holiday or a birthday to shower them with affection! Even a little gesture can go a long way. Even if you are far away from those you love, you can use the internet to get closer. On Ishqwalapyar.com you will find tons of wonderful Shayari , status, SMS, Quotes, images, Urdu shayari my thoughts that you can send to your special someone to let him or her know about feelings.
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