एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूँ तो Poetry in Hindi | best khilaf poem in hindi | सबसे अच्छी कविता |

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best hindi poetry lines:-  एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूँ तो Poetry in Hindi

एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूँ तो

 एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूँ तो

 एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूँ तो,,

चाँद के साथ ही रहते हैं सितारे यूँ तो.....


वो नहीं तो न शिकायत कोई,,

 सच कहती हूँ,

बिन उनके वक्त ये गुजरे न गुजारे यूँ तो....


राह में संग चलूँ ये न गवारा उनको,,

दूर रहकर वो करे खूब इशारे यूँ तो.....


नाम उनका कभी आने न दिया होठों पर,,

हाँ, उनरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूँ तो....


वो हमें चाहे न चाहे, ये मर्जी है उनकी,, 

हमने साँसों को किया नाम उन्हीं के यूँ तो.......


ये अलग बात है वो हो नहीं पाया मेरा,,

हूँ युगों से उन्हें आँखों में उतारे यूँ तो....


साथ लहरों के गया छोड़ के वो साहिल को,,

अब भी जपते हैं उनका नाम किनारे यूँ  तो....

Writer's:- Rajnandani 

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सारा ज़माना जब खिलाफ बोलता हैं

 सारा ज़माना जब खिलाफ बोलता हैं

 सारा ज़माना जब खिलाफ बोलता हैं

तो समझ ले के तू साफ़ बोलता हैं


जो लोग बहुत ख़ामोश रहा करते हैं

ज़माने में उनका हूनर बोलता हैं


दफन कर दो इसे तुम चाहे कितना

ज़मीं से निकल के इंसाफ बोलता हैं


मेरा कोई हुनर शामिल नहीं इसमें

बस लहजे में मेरा संस्कार बोलता हैं


लाख कोशिश करें हम दूरी मिटाने की

चेहरों से मगर मतभेद बोलता हैं


नई है पीढ़ी मुरव्वत से नहीं वाक़िफ़

बेटा अब तो बाप से साफ़ बोलता हैं


बुरे वक़्त में तूने मदद की हो जिसकी

अक्सर वही तेरे खिलाफ बोलता हैं

Writer's:- Rajnandani 

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सोचती हूं तुम मेरा ख्याल तो नहीं,

सोचती हूं तुम मेरा ख्याल तो नहीं

सोचती हूं तुम मेरा ख्याल तो नहीं,

और हकीक़त हो गर तो सामने आओ ना,

यूं तो कई बार तुम ख्वाबों में आए हो,

गर सच हो तुम तो बाहों में आओ ना, 

हाथों में मेरी लार्जिस हो रखी है,

थाम कर इसे रोकने को आओ ना,

यूं तो रोई कई बार हूं मै तन्हाई में,

आज तन्हा रहने को मन नहीं,

तुम महफ़िल सजाने को आओ ना,।

Writer's:- Rajnandani 

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खोल ना ग़र मुख ज़रा तू, सब तेरा हो जाएगा,,

खोल ना ग़र मुख ज़रा तू, सब तेरा हो जाएगा

खोल ना ग़र मुख ज़रा तू, सब तेरा हो जाएगा,,

ग़र कहेगा सच यहाँ तो हादसा हो जाएगा......


भेद की ये बात है यों उठ गया पर्दा अगर,,

तो सरे-बाज़ार कोई माजरा हो जाएगा.......


इक ज़रा जो राय दें हम तो बनें गुस्ताख-दिल,,

वो अगर दें धमकियाँ भी, मशवरा हो जाएगा.......


है नियम बाज़ार का ये जो न बदलेगा कभी,,

वो है सोना जो कसौटी पर खरा हो जाएगा......


भीड़ में युं भीड़ बनकर ग़र चलेगा उम्र भर,,

बढ़ न पाएगा कभी तू, गुमशुदा हो जाएगा......


सोचना क्या ये तो तेरे जेब की सरकार है,,

जो भी चाहे, जो भी तू ने कह दिया, हो जाएगा......


तेरी आँखों में छुपा है दर्द का सैलाब जो,,

एक दिन ये इस जहाँ का जलजला हो जाएगा....


युं निगाहों ही निगाहों में न हमको छेड़िये,, 

भोला-भाला मन हमारा मनचला हो जाएगा.......

Writer's:- Rajnandani 

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